And want to let learn something from it.
Let us first say a little prayer:
Our merciful Heavenly Father, Our God, thank you for your beautiful words You given to us, so that Father, You grow us through Your Holy Words and Father give blessings on Your Word so that Holy Spirit help us to read and understand it. Lord Communicate with our minds, spirits, souls and hearts through Your Living Word...
We give all Honor and Glory to You...
In the Holy name of Lord Jesus Christ, Amen.
Let's read the words:
Jesus called the crowd to him and said, “Listen and understand. What goes into someone’s mouth does not defile them, but what comes out of their mouth, that is what defiles them.”- Matthew 15:10-11
Peter said, “Explain the parable to us.”
“Are you still so dull?” Jesus asked them. “Don’t you see that whatever enters the mouth goes into the stomach and then out of the body? But the things that come out of a person’s mouth come from the heart, and these defile them. For out of the heart come evil thoughts—murder, adultery, sexual immorality, theft, false testimony, slander. These are what defile a person; but eating with unwashed hands does not defile them.” - Matthew 15:15-20
The Spirit clearly says that in later times some will abandon the faith and follow deceiving spirits and things taught by demons. Such teachings come through hypocritical liars, whose consciences have been seared as with a hot iron. They forbid people to marry and order them to abstain from certain foods, which God created to be received with thanksgiving by those who believe and who know the truth. For everything God created is good, and nothing is to be rejected if it is received with thanksgiving, because it is consecrated by the word of God and prayer. - 1 Timothy 4:1-5
Likewise, the tongue is a small part of the body, but it makes great boasts. Consider what a great forest is set on fire by a small spark. The tongue also is a fire, a world of evil among the parts of the body. It corrupts the whole body, sets the whole course of one’s life on fire, and is itself set on fire by hell.
All kinds of animals, birds, reptiles and sea creatures are being tamed and have been tamed by mankind, but no human being can tame the tongue. It is a restless evil, full of deadly poison.
With the tongue we praise our Lord and Father, and with it we curse human beings, who have been made in God’s likeness. Out of the same mouth come praise and cursing. My brothers and sisters, this should not be. Can both fresh water and salt water flow from the same spring? - James 3:5-11
The tongue has the power of life and death, and those who love it will eat its fruit. - Proverbs 18:21
But I tell you that everyone will have to give account on the day of judgment for every empty word they have spoken. For by your words you will be acquitted, and by your words you will be condemned.”. Matthew 12:36-37
If your right eye causes you to stumble, gouge it out and throw it away. It is better for you to lose one part of your body than for your whole body to be thrown into hell. And if your right hand causes you to stumble, cut it off and throw it away. It is better for you to lose one part of your body than for your whole body to go into hell. - Matthew 5:29-30
This is the Word of God, God Bless on Reading and Sharing it.
Lord Jesus Bless you all.
Amen!!
~James Rock~
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Hindi Translation
दोस्तों आज मैं फिर आपके साथ पवित्र पुस्तक बाईबल के वचन बाँटना चाहता हूँ .
और चाहता हूँ की हम वचन में से कुछ सीखें...
आईये सबसे पहले एक छोटी सी प्रार्थना करें:
हमारे दयालु पिता परमेश्वर, धन्यवाद् आपके सुन्दर वचन के लिए जो आपने हमारे लिए दिया ताकि पिता आप हम में और हम आपके वचनों मैं आगे बड़ते जायें, अपने पवित्र वचन पर आशिश दें, और हमारी इस वचन को पड़ने और समझने में हमारी सहयता और मदद करें और आप अपने वचन से हमारे मनो से बातचीत करें...
सारी आदर और महिमा आपको देते हैं...
येशु मसीह के पवित्र नाम में आमीन।
आईये वचन को पढ़ें :
और उस ने (येशु ने) लोगों को अपने पास बुलाकर उन से कहा, सुनो; और समझो।
जो मुंह में जाता है, वह मनुष्य को अशुद्ध नहीं करता, पर जो मुंह से निकलता है, वही मनुष्य को अशुद्ध करता है। - मत्ती 15:10-11
यह सुनकर, पतरस ने उस से कहा, यह दृष्टान्त हमें समझा दे। उस ने कहा, क्या तुम भी अब तक ना समझ हो? क्या नहीं समझते, कि जो कुछ मुंह में जाता, वह पेट में पड़ता है, और सण्डास में निकल जाता है? पर जो कुछ मुंह से निकलता है, वह मन से निकलता है, और वही मनुष्य को अशुद्ध करता है। क्योंकि कुचिन्ता, हत्या, परस्त्रीगमन, व्यभिचार, चोरी, झूठी गवाही और निन्दा मन ही से निकलती है। यही हैं जो मनुष्य को अशुद्ध करती हैं, परन्तु हाथ बिना धोए भोजन करना मनुष्य को अशुद्ध नहीं करता है। - मत्ती 15:15-20
परन्तु आत्मा स्पष्टता से कहता है, कि आनेवाले समयों में कितने लोग भरमानेवाली आत्माओं, और दुष्टात्माओं की शिक्षाओं पर मन लगाकर विश्वास से बहक जाएंगे। यह उन झूठे मनुष्यों के कपट के कारण होगा, जिन का विवेक मानों जलते हुए लोहे से दागा गया है। जो ब्याह करने से रोकेंगे, और भोजन की कुछ वस्तुओं से परे रहने की आज्ञा देंगे; जिन्हें परमेश्वर ने इसलिये सृजा कि विश्वासी, और सत्य के पहिचाननेवाले उन्हें धन्यवाद के साथ खाएं। क्योंकि परमेश्वर की सृजी हुई हर एक वस्तु अच्छी है: और कोई वस्तु अस्वीकार करने के योग्य नहीं; पर यह कि धन्यवाद के साथ खाई जाए। क्योंकि परमेश्वर के वचन और प्रार्थना से शुद्ध हो जाती है। - 1 तीमुथियुस 4:1-5
वैसे ही जीभ भी एक छोटा सा अंग है और बड़ी बड़ी डींगे मारती है: देखो, थोड़ी सी आग से कितने बड़े बन में आग लग जाती है। जीभ भी एक आग है: भी हमारे अंगों में अधर्म का एक लोक है और सारी देह पर कलंक लगाती है, और भवचक्र में आग लगा देती है और नरक कुण्ड की आग से जलती रहती है। क्योंकि हर प्रकार के बन- पशु, पक्षी, और रेंगनेवाले जन्तु और जलचर तो मनुष्य जाति के वश में हो सकते हैं और हो भी गए हैं। पर जीभ को मनुष्यों में से कोई वश में नहीं कर सकता; वह एक ऐसी बला है जो कभी रूकती ही नहीं; वह प्राण नाशक विष से भरी हुई है। इसी से हम प्रभु और पिता की स्तुति करते हैं; और इसी से मनुष्यों को जो परमेश्वर के स्वरूप में उत्पन्न हुए हैं स्राप देते हैं। एक ही मुंह से धन्यवाद और स्राप दोनों निकलते हैं। हे मेरे भाइयों, ऐसा नही होना चाहिए। - याकूब 3:5-11
जीभ के वश में मृत्यु और जीवन दोनों होते हैं, और जो उसे काम में लाना जानता है वह उसका फल भोगेगा। नीति वचन 18:21
और मै तुम से कहता हूं, कि जो जो निकम्मी बातें मनुष्य कहेंगे, न्याय के दिन हर एक बात का लेखा देंगे। क्योंकि तू अपनी बातों के कारण निर्दोष और अपनी बातों ही के कारण दोषी ठहराया जाएगा। मत्ती 12:36-37
तेरे शरीर का दीया तेरी आंख है, इसलिये जब तेरी आंख निर्मल है, तो तेरा सारा शरीर भी उजियाला है; परन्तु जब वह बुरी है, तो तेरा शरीर भी अन्धेरा है। इसलिये चौकस रहना, कि जो उजियाला तुझ में है वह अन्धेरा न हो जाए। इसलिये यदि तेरा सारा शरीर उजियाला हो, ओर उसका कोई भाग अन्धेरा न रहे, तो सब का सब ऐसा उलियाला होगा, जैसा उस समय होता है, जब दीया अपनी चमक से तुझे उजाला देता है।लूका 11:34-36
यदि तेरी दहिनी आंख तुझे ठोकर खिलाए, तो उसे निकालकर अपने पास से फेंक दे; क्योंकि तेरे लिये यही भला है कि तेरे अंगों में से एक नाश हो जाए और तेरा सारा शरीर नरक में न डाला जाए। और यदि तेरा दहिना हाथ तुझे ठोकर खिलाए, तो उस को काटकर अपने पास से फेंक दे, क्योंकि तेरे लिये यही भला है, कि तेरे अंगों में से एक नाश हो जाए और तेरा सारा शरीर नरक में न डाला जाए। - मत्ती 5:29-30
यह पवित्र परमेश्वर का पवित्र वचन है इसके पढ़े और सुने जाने पर आशीष हो|
प्रभु येशु आप सबको आशीष दें।
आमीन।
~जेम्स रॉक~