उस समय सात स्त्रियां एक पुरूष को पकड़कर कहेंगी कि रोटी तो हम अपनी ही खाएंगी, और वस्त्र अपने ही पहिनेंगी, केवल हम तेरी कहलाएं; हमारी नामधराई को दूर कर॥
- यशायाह ४:१
कि जो कुछ तू देखता है, उसे पुस्तक में लिख कर सातों कलीसियाओं के पास भेज दे, अर्थात (१) इफिसुस और (२) स्मुरना, और (३) पिरगमुन, और (४) थुआतीरा, और (५) सरदीस, और (६) फिलेदिलफिया, और (७) लौदीकिया में।
- प्रकाशित वाक्य १:११
प्रभु वचन के पढ़े जाने पर आशीष दे और प्रभु का बहुत ही धन्यवाद देते हैं इन पवित्र वचनो के लिए जो उसने अपने दास भविष्यवक्ताओ के द्वारा लिखवाये ताकि हम भी जो उसके नाम के कहलाते हैं इन्हें पढ़े और प्रभु से विनती करते हैं की वह अब अपनी पवित्र आत्मा के द्वारा हमें इन वचनो को समझा दे जिससे की हम भी उसके वचनो के द्वारा पवित्र किये जाएं और बच सके और प्रभु हम सभी को अपने आने की तैयारी दे ताकि हम भी उसकी बादशाहत में प्रभु के अनुग्रह से दाखिल हो सकें। प्रभु येशु मसीह के नाम से मांगते हैं
आमीन।
अब देखिये हमने प्रभु के कलाम में से यशायाह नबी की किताब ४:१ से पढ़ा। वचन में भी किसी भेद में बात की जाती है किसी स्त्री के बारे में आप समझ जाईये ये किसी कलीसिया के बारे में बात की जा रही है। और यहाँ पर ये पुरुष येशु है। तो इस वचन में ७ कलीसियाओं के बारे में प्रभु बात कर रहे हैं और ये कलीसियाएँ प्रभु से विनती कर रही हैं की हम रोटी तो अपनी की खाएंगी, और वस्त्र अपने ही पहनेगी परन्तु हम तेरी ही कहलाएं...
अब रोटी क्या है ? येशु ने कहा जीवन की रोटी मैं हूँ। और येशु की रोटी उसकी मांस उसकी देह है और आत्मिक रीती से उसका बदन उसका मांस उसकी देह उसका वचन है। और येशु ने यहुन्ना ६:६३ में कहा :-
आत्मा तो जीवनदायक है, शरीर से कुछ लाभ नहीं: जो बातें मैं ने तुम से कहीं हैं वे आत्मा है, और जीवन भी हैं।
और उसके वचन के ही द्वारा अनंत जीवन है क्यूंकि उसके वचन के ही द्वारा पवित्र आत्मा है और पवित्र आत्मा की छाप ही अनंत जीवन है और कोई मार्ग नहीं है।
और यहाँ यशायाह ४:१ में ये सातों स्त्रियां कहती हैं की हम रोटी तो अपनी ही खाएंगी यानी ये निर्बुद्धि स्त्रियां हैं जो येशु का वचन का इंकार कर अपने ही समझ के अनुसार वचन को समझ कर मानने की बात कर रही हैं। यानि जो अच्छा लगा जितना प्रभु का वचन वो मान सकती हैं जिसे मानने में उनको किसी प्रकार की दिक्कत या परेशानी नहीं होती उसको तो ये कालीसियायें मान लेती हैं लेकिन जहाँ कोई मुश्किल वचन सामने आता है उसमें ये फेर बदल कर देती हैं... या उसका ये इंकार कर देती हैं या उसमें कोई बहाना बना देती हैं जैसा की ये पहले हुआ करता था अब नहीं हो सकता या आजकल बाइबल की ये बात मानी नहीं जा सकती या ऐसा करना कठिन है या ऐसा करना प्रेक्टिकल नहीं है, या फिर ज़्यादातर लोग कह देते हैं की परमेश्वर मन को देखता है ऊपरी रूप नहीं देखता हमारा मन तो साफ़ है वगैरह वगैरह।
सब बातो की निचोड़ ये की यशायाह यहाँ पर भविष्ये में होने वाली बात बता रहा है जो की अगले वचन यानि प्रकाशित वाक्य १:११ में भी जिनका ज़िकर है जो येशु के स्वर्ग जाने से लेकर उसके वापस आने तक के समय को सात काल और सात कलीसियाओं में होगी और वो ये की ये सात कलीसियाएँ येशु की तो कहलाना चाहती हैं ईसाई तो कहलाना चाहती हैं लेकिन वचन अपने हिसाब से मानेंगी। और वस्त्र भी अपने ही हिसाब से पहनेंगी और येशु से चाहती हैं कि वो उनकी नामधराई दूर करे यानि उनका छुटकारा करे उनका उद्धार करे।
और वचन में वो वस्त्र प्रभु देता है वो दर्शाते हैं की प्रभु आपके गुनाहो को ढाँपता है और आपको उजला और ऐसा वस्त्र देता है जिससे आपका शरीर पूरी तरह से ढके और आपको अपने गुनाहो की वजह से आपको अपने नंगेपन की लाज ना हो। लेकिन ये सात कालों की सात कलीसियाओं को अपने गुनाहो पर पर्दा भी नहीं पढ़वाना क्यूंकि ये वचन कहता है की ये कहती हैं की इनको वस्त्र भी अपने ही पहनने हैं।
अब आप खुद सोचिये येशु हमारा दूल्हा है और हम उसकी दुल्हन और हम उसी से कह रही हैं की हम से शादी कर ले और हम अपनी ही मर्ज़ी से अपनी ही पसंद की रोटी खाएंगी और अपने ही मर्ज़ी के कपडे पहनेंगी जैसा की आजकल हो भी रहा है लड़किया शादी के बाद लड़के की परिवार से अलग रहना पसंद करती हैं और अपनी ही पसंद से कपडे जैसे जीन्स टॉप और छोटे छोटे या बिकुल ही तंग कपडे पहनना पसंद करती हैं और चाहती हैं की कोई उनको रोके टोके नहीं चाहे दुनिया उनको किसी भी निगाह से देखे वो कैसी भी दिखे और प्रभु माफ़ करे इन वचनो के लिए लेकिन ये हकीकत है की चाहे वो कुछ भी करे बस वह अपने पति की कहलाएं शादी शुदा अपने पति की कहलाएं अब भले ही कुदृष्टि और व्यभिचार मन ही मन किसी का भी या किसी से भी हो। फिर भी वह सिर्फ अपने पति की ही कहलाएं। ये सात कलीसियाएँ जो की दुल्हन बनना चाहती हैं येशु की, और अपने होने वाले दूल्हे येशु से अपनी शर्तें येशु के सामने रख रही हैं और जैसा की आजकल के समाज में ये हो भी रहा है।
इसी लिए प्रभु का वचन प्रकाशी वाक्य ३:१४-२२ में आज की अंतिम समय की कलीसिया से जबकि प्रभु का आना कितना निकट है, हमसे लौदीकिया काल की अंतिम कलीसिया से प्रभु कहता है :-
और लौदीकिया की कलीसिया के दूत को यह लिख, कि, जो आमीन, और विश्वासयोग्य, और सच्चा गवाह है, और परमेश्वर की सृष्टि का मूल कारण है, वह यह कहता है। (यानि की येशु मसीह कहता है हम सब से ) कि मैं तेरे कामों को जानता हूं कि तू न तो ठंडा है और न गर्म: भला होता कि तू ठंडा या गर्म होता। सो इसलिये कि तू गुनगुना है, और न ठंडा है और न गर्म, मैं तुझे अपने मुंह में से उगलने पर हूं।
तू जो कहता है, कि मैं धनी हूं, और धनवान हो गया हूं, और मुझे किसी वस्तु की घटी नहीं, और यह नहीं जानता, कि तू अभागा और तुच्छ और कंगाल और अन्धा, और नंगा है।
इसी लिये मैं तुझे सम्मति देता हूं, कि आग में ताया हुआ सोना मुझ से मोल ले, कि धनी हो जाए; और श्वेत वस्त्र ले ले कि पहिन कर तुझे अपने नंगेपन की लज्ज़ा न हो; और अपनी आंखों में लगाने के लिये सुर्मा ले, कि तू देखने लगे।
मैं जिन जिन से प्रीति रखता हूं, उन सब को उलाहना और ताड़ना देता हूं, इसलिये सरगर्म हो, और मन फिरा।
देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूं; यदि कोई मेरा शब्द सुन कर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आ कर उसके साथ भोजन करूंगा, और वह मेरे साथ।
जो जय पाए, मैं उसे अपने साथ अपने सिंहासन पर बैठाऊंगा, जैसा मैं भी जय पा कर अपने पिता के साथ उसके सिंहासन पर बैठ गया।
जिस के कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है॥
प्रभु वचन में इस युग के लोगो को अँधा इस लिए कह रहे हैं कियोंकि उनको ना ही वचन की सच्चाई दिखाई दे रही है और ना ही नरक दिख रहा है।
आप के भी मन में प्रश्न उठ रहा होगा की मैं यह कैसे कह सकता हूँ की यशायाह और प्रकाशितवाक्य के यह वचन हमारे ही बारे में लिखे गए हैं? तो आइए प्रकाशितवाक्य १:१९-२० पढ़े
इसलिये जो बातें तू ने देखीं हैं और जो बातें हो रही हैं; और जो इस के बाद होने वाली हैं, उन सब को लिख ले। अर्थात उन सात तारों का भेद जिन्हें तू ने मेरे दाहिने हाथ में देखा था, और उन सात सोने की दीवटों का भेद: वे सात तारे सातों कलीसियाओं के दूत हैं, और वे सात दीवट सात कलीसियाएं हैं॥
और यहां पर प्रभु कलीसियाओं को सात दीवट के रूप में दर्शा रहे हैं और और प्रकाशितवाक्य को प्रभु ने येशु मसीह को और फिर अपने दास यहुन्ना और और भी दासो को इस लिए दिया की वो अपने दासो को वह सब बातें और घटनायें बताये जो शीघ्र भविष्ये में होने वाली है पहले से ही बता दे। पढ़िए प्रकाशितवाक्य १:१
यीशु मसीह का प्रकाशितवाक्य जो उसे परमेश्वर ने इसलिये दिया, कि अपने दासों को वे बातें, जिन का शीघ्र होना अवश्य है, दिखाए: और उस ने अपने स्वर्गदूत को भेज कर उसके द्वारा अपने दास यूहन्ना को बताया।
और जैसा की हमने ऊपर पढ़ा प्रकाशितवाक्य १:१९-२० में उसने आने वाले समय और कालो को सात कालों में बांटा और उन सात कालों के पास सात दूत भी भेजे.... जो की वचन में सात तारों के रूप में बताये गए हैं। लेकिन शायद आपको एक भी दूत के बारे में पता भी ना हो या शायद ठीक ठीक न भी पता हो। पता है तो प्रभु आपको आशीष दे। लेकिन फ़िलहाल हम इन सात दूतों के बारे में आगे या फिर कभी देखेंगे। हम आज केवल आज के अंतिम समय के आखरी कलीसिया काल के यानि की लौदीकिया कलीसिया काल के दूत के बारे में देखेंगे की वचन हमारे लिए आज के समय का क्या सन्देश देता है और क्या सच में प्रभु ने किसी दूत को हमारे लिए भेजा है और उसका काम क्या है ? प्रभु ने हमारे लिए उसे किस सन्देश के साथ भेजा है ? वचन में से देखते हैं क्यूंकि केवल वचन ही सत्य और परमेश्वर है। पढ़ते हैं प्रकाशितवाक्य १०:७
वरन सातवें स्वर्गदूत के शब्द देने के दिनों में जब वह तुरही फूंकने पर होगा, तो परमेश्वर का गुप्त मनोरथ उस सुसमाचार के अनुसार जो उस ने अपने दास भविष्यद्वक्ताओं को दिया पूरा होगा।
आमीन।
अब देखिये यहाँ पर हमे मिलता है की परमेश्वर ने सचमुच हमारे लिए एक सातवें दूत को भेजा और उसका काम यह था के वह परमेश्वर का गुप्त मनोरथ यानि कि वह परमेश्वर की गुप्त और सिद्ध इच्छा को जो की परमेश्वर चाहता है की वह अपनी वह इच्छा जो उसने अभी तक किसी को नहीं बताई थी वह वो दूत आकार आपको बताये। और उसकी इच्छा कोई आइस क्रीम खाने की नहीं नहीं होगी बल्कि वह तो आपको मुझको जोकि प्रभु के कहलाते हैं हमको अपनी दुल्हन को नरक से बचने और स्वर्ग तक रैप्चर में ले जाने की होगी और उससे भी पहले हमें उन दिनों और उन विपत्तियों से बचने की होगी जो की इस संसार पर आने वाली है जब सूर्य कम्बल की तरह काला और चाँद रक्त की तरह लाल हो जायेगे और पृथ्वी के तत्त्व गर्म होकर पिघल जायेंगे और खून की नदियां मिलो लम्बी नदियां बह निकलेंगी। दूसरे शब्दों में यह सातवां दूत आपको परमेश्वर का वह गुप्त मनोरथ बताएगा जिससे आप रैप्चर में जा सको और इन सब आफतों से बच सको जो इस संसार पर आने वाली है इन सब विपत्तियों के बारे में जान्ने के लिए पढ़िए मत्ती २४:१-२८.
अब जब यशायाह में हमने पढ़ा की सात कालीसियें किस प्रकार का मन रखती हैं और कैसे काम करती हैं वह तो परमेश्वर का केवल नाम चाहती हैं परन्तु उसकी इच्छा जो की उसकी के अनुसार नहीं चलना चाहती और उसकी इच्छा जो की उसकी पुस्तक पवित्र बाइबल में ही छिपी हुयी है उसको नहीं जानना चाहती नहीं मानना चाहती इसी लिए यह लोग मत्ती ७:२१ में धोखा खाएंगे जब परमेश्वर नयाये के दिन उनको पहचानने से भी इंकार कर देगा क्यूंकि उन्होंने परमेश्वर की इच्छा से चलना न चाहा और अपनी ही इच्छा से और नियम और तरीको से चलते रहे। लेकिन इसी समय भी कुछ ऐसे लोग हैं जो कुछ कुछ देख पा रहे हैं की आज की इस अंतिम समय की कलीसियाओं में प्रभु का वचन की किस प्रकार से धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं और परमेश्वर के वचन से नहीं परन्तु अपनी इच्छा के अनुसार वचन को मन जा रहा है और सिखाया जा रहा है और सच्चे वचन का इंकार किया जा रहा है और सच्चे वचन में मिलावट की जा रही है और वचन से ऊपर हम अपनी सुख विलासिता में जी रहे हैं जिसको जैसे अच्छा लगता है वो वचन को वैसे ही मान लेता है। उद्धरण के लिए अगर हम पानी के बपतिस्मा की बात करें तो मसीह समाज में सेंकडो तरह के बपतिस्मे हैं और बाइबल हमें केवल एक ही तरह का जल के बपतिस्मा बताती है जो की पूरी बाइबल में दिया गया।
प्रकाशिवाक्य १०:७ में प्रभु ने अपने दास भविष्यवक्ता को सातवें दूत को वह बातें बताई जो की अंतिम समय में ठीक होनी ज़रूरी हैं आज भी अंतिम समय की सबसे ज़्यादा बिगड़ी हुयी कलीसिया में भी केवल कुछ ही लोग ऐसे हैं जो की सही और गलत को समझते हैं और उस में से निकलना चाहते हैं और वही प्रभु के लोग हैं जो की उसकी बादशाहत में दाखिल होंगे क्यूंकि उन्होंने उस सातवें दूत की सब बातो को ठीक ठीक तरह से समझा और माना।
पढ़िए प्रकाशितवाक्य १८:४-६
फिर मैं ने स्वर्ग से किसी और का शब्द सुना, कि हे मेरे लोगों, उस में से निकल आओ; कि तुम उसके पापों में भागी न हो, और उस की विपत्तियों में से कोई तुम पर आ न पड़े।
क्योंकि उसके पाप स्वर्ग तक पहुंच गए हैं, और उसके अधर्म परमेश्वर को स्मरण आए हैं।
जैसा उस ने तुम्हें दिया है, वैसा ही उस को भर दो, और उसके कामों के अनुसार उसे दो गुणा बदला दो, जिस कटोरे में उस ने भर दिया था उसी में उसके लिये दो गुणा भर दो।
देखिये ऊपर वचन में प्रभु आपको अपने शब्द अपने सन्देश में कह रहा है की मेरे लोगो उन में से निकल आओ और उनके पाप में भागी मत हो ? कौन हैं ये लोग ? यह वह अंतिम समय की दूषित लौदीकिया कलीसिया है जिसमें से प्रभु अपनी दुल्हन को निकलने के लिए बुला रहा है ताकि हम उनके पापो में भागी ना गिने जाएँ क्यूंकि परमेश्वर उनको अब सजा देने पर है। यह वचन याद रखिये की बुलाये हुए तो बहुत हैं लेकिन चुने हुए थोड़े। इसी प्रकार इस संसार में भी मसीह के नाम के तो बहुत हैं परन्तु चुने हुए थोड़े। संसार में सबसे अधिक लोग मसीही लोग हैं।
मैं ने उस को मन फिराने के लिये अवसर दिया, पर वह अपने व्यभिचार से मन फिराना नहीं चाहती।
देख, मैं उसे खाट पर डालता हूं; और जो उसके साथ व्यभिचार करते हैं यदि वे भी उसके से कामों से मन न फिराएंगे तो उन्हें बड़े क्लेश में डांलूगा।
और मैं उसके बच्चों को मार डालूंगा; और तब सब कलीसियाएं जान लेंगी कि हृदय और मन का परखने वाला मैं ही हूं: और मैं तुम में से हर एक को उसके कामों के अनुसार बदला दूंगा।
- प्रकाशितवाक्य २:२१-२३
इस वचन में परमेश्वर का वचन बताता है एक कलीसिया ऐसी है जिसने आत्मिक रीती से व्यभिचार किया है और वह अपने पाप से मन फिरना नहीं चाहती। यह आत्मिक रीती से व्यभिचार क्या है ? और ये कलीसिया कोनसी है ? यह कलीसिया वह है जिसने अपने व्यभिचार के बाद और भी कलीसियाओं को जन्म दिया है और व्यभिचार वह है जब इस कलीसिया ने प्रभु के वचन को तोडा मरोड़ा और वैसा प्रभु के वचन में मिलावट की है और मिलावट ही, शुद्धता में अशुद्धता को मिलाना ही व्यभिचार है। और इस कलीसिया जो की माँ कलीसिया भी कहलाती है इसने वचन में मिलावट की है और वैसा ही औरो को भी सिखाया और औरो ने भी उसके इस व्यभिचार में उसका साथ दिया है। और उसके बच्चे भी हैं जो की वह कलीसियाएँ हैं जो उस में से निकली हैं। यदि आप इतिहास के अच्छे जानकार हैं और वचन के भी तो आप समझ जाएंगे की प्रभु का वचन किस कलीसिया की ओर इशारा करता है। जी हाँ आज भी वह कलीसिया अपने आपको माँ कलीसिया कहती है और सबसे पहली और सबसे बड़ी कलीसिया कहती है वह है कैथोलिक कलीसिया। और बाकि की जितनी नामधारी कलीसियाएँ हैं वह सब उसकी संताने हैं।
हमने प्रभु के वचन को समाचार पत्र की तरह पढ़ा इसी लिए प्रभु अपने वचन होशे ४:६ में कहता है:
मेरे ज्ञान के न होने से मेरी प्रजा नाश हो गई; तू ने मेरे ज्ञान को तुच्छ जाना है, इसलिये मैं तुझे अपना याजक रहने के अयोग्य ठहराऊंगा। और इसलिये कि तू ने अपने परमेश्वर की व्यवस्था को तज दिया है, मैं भी तेरे लड़के-बालों को छोड़ दूंगा।
आप ध्यान दें प्रभु कहता है प्रकाशितवाक्य २:२१-२३ मैं और होशे ४:६ में की प्रभु उस कलीसिया को एक वेश्या के सामान बता रहा है जिसे वह खाट पे डालता है और लोग उसके साथ व्यभिचार करते हैं और प्रभु उसको और उसकी सन्तानो को बड़े कलेश में डालेगा और उसकी सन्तानो को मार डालेगा। आज के समय में उसकी सन्तानो की संख्या यानि नामधारी गिरजों की संख्या दुनिया में ५५००० के लगभग है। और अगर आपको प्रभु का यह वचन समझ में आ रहा है और आप जान पा रहे हैं की आप कहाँ हैं तो प्रभु का वचन आपको प्रकाशितवाक्य १८:४-६ के अनुसार बुला रहा है की हे मेरे लोगो उसमें से बहार निकल आओ और उसके पाप में व्यभिचार में अशुद्धता में भागी ना हो।
एक समय था जब इस वेश्या की संताने उस से अलग तो हुयी थी की वह परमेश्वर के साथ चलें लेकिन ना चली और अब वह समय है की उसकी वह संतानें वापस आ रही हैं अपनी माँ के पास। आपने निउ वर्ल्ड आर्डर यानि नयी विश्व व्यवस्था के बारे में सुना या पढ़ा होगा। इस व्यवस्था के अनुसार विश्व के सभी ५५००० नामधारी गिरजों को अब इस इस नयी विश्व व्यवस्था में और विश्व के सभी गिरजों को चाहे कहीं भी हो किसी का भी हो स्वतंत्र या पंजीकृत सभी को अब नयी विश्व वयवसथ के तहत पंजीकरण करना होगा। और इस नहीं विश्व व्यवस्था का राजा होगा पोप जोकि अपने देश का राष्टपति भी है और कैथोलिक कलीसिया को चलने वाला सबसे उच्च पद पर भी है। और केवल यही नहीं बहुत जल्दी मंदिर मज़्जिद और सभी धार्मिक स्थलों को भी पंजीकरण करना होगा। अन्यथा वह वहां पर कोई भी धार्मिक कार्य या प्रार्थना नहीं कर सकेंगे। बड़ी बात यह है की प्रभु का वचन पूरा हो रहा है यह सभी नामधारी गिरजे जो की मसीह के तो कहलाते हैं परन्तु वचन पुरा करने या मानाने में मसीह का इंकार करते हैं और अब सब एक छतरी के निचे इक्कट्ठे हो रहे हैं।
यह सब जो भी मैं आपको बता रहा हूँ यह सब भेद की बातें हैं जो की प्रभु ने अंतिम समय के लिए भेद में रख छोड़ी हैं और ये भेद मुझ पर नहीं प्रभु ने अपनी दुल्हन तक इन भेदो को पोहचने के लिए अपने सातवे दूत का सहारा लिया।
प्रकाशितवाक्य १०:७
वरन सातवें स्वर्गदूत के शब्द देने के दिनों में जब वह तुरही फूंकने पर होगा, तो परमेश्वर का गुप्त मनोरथ उस सुसमाचार के अनुसार जो उस ने अपने दास भविष्यद्वक्ताओं को दिया पूरा होगा।
यह सातवें दूत कौन है ??? जो परमेश्वर का रहस्य गुप्त मनोरथ खोल रहा है ?????? ऊपर वर्णित चीजें जो मैंने आपको बताई है वह एक रहस्य था और इस सातवें स्वर्गदूत द्वारा खोला गया। वह एक मनुष्य है, प्रभु का दूत है भविष्यवक्ता है जैसे मूसा, पौलुस, एलिय्याह और यशायाह, होशे, सपन्याह, डेनियल ये सभी भविष्यवक्ता थे।
प्रकाशित वाक्य १२:१४
और उस स्त्री को बड़े उकाब के दो पंख दिए गए, कि सांप के साम्हने से उड़ कर जंगल में उस जगह पहुंच जाए, जहां वह एक समय, और समयों, और आधे समय तक पाली जाए।
यह स्त्री वह दुल्हन है जोकि इन कलीसियाओं में से बहार निकली और अपने आपको शुद्ध किया और उसे उकाब के पंख दिए गए। इस सातवें स्वर्गदूत का यही काम है की वह प्रभु की दुल्हन को इन कलीसियाओं में से निकले और वह प्रभु की दुल्हन पर उस भेद को ज़ाहिर करे जिस से वह दुल्हन अपने आपको पापो से दूर करे और वह करे जो प्रभु उससे चाहता है और वह सातवा दूत उसे वह पंख उकाब के पंक दे की वह उन पंखो से इतनी ऊपर उड़ सके की वह आने वाले खतरे को देख सके और सही और गलत की पहचान सके और गलत को सही कर सके और वह उस दुल्हन को वह विश्वास और वह प्रभु के वचन से वह मार्ग दिखा सके जिससे दुल्हन बादलो पर उठायी जा सके रैप्चर में जा सके अपने प्रभु की बादशाहत में।
कलीसिया शब्द का अर्थ क्या है ? कलीसिया शब्द का अर्थ होता है बहार बुलाये गए लोग। परमेश्वर ने जब अपने लोग इज़राइलियों को जब मिस्र देश से निकला ताकि वह अपने परमेश्वर यहोवा की उपासना करें। परमेश्वर ने ये काम अपने दास मूसा के द्वारा करवाया। यह पवित्र शास्त्र में उल्लेख किया गया पहला निर्गमन था। जब परमेश्वर अपने लोगो को मिस्र देश की गुलामी से निकल लाया।
दूसरी बार परमेश्वर खुद येशु की देह में जन्म लेकर अपने लोगो के बीच आया और उसने झूटी शिक्षाओं से और आडंबरो से और खुद क्रूस पर कुर्बान होकर अपने लोगो को पाप की गुलामी से और बहार निकला। येशु ने मूसा से लेकर येशु के आने तक २००० सालो में जो व्यवस्था जो नियम और शिक्षाए धर्म के ठेकेदारों ने बिगड़ दी थी उनको सही और यहाँ तक की उसने पुराने नियम की व्यवस्था को और भी कठिन कर के नए नियम में नयी व्यवस्था दी। येशु ने पुरनी वयवस्था का इंकार नहीं किया बल्कि उसे पूरा किया। मुख्य बात यह की उसने अपने लोगो को गुलामी से निकला। यह दूसरा निर्गमन था।
अब फिर से अंतिम समय में प्रभु ने फिर से जबकि हमें अपने परमेश्वर के घर जाना ज़रूरी है समय निकट आता है और इन २००० सालो में फिर से धर्म के ठेकेदारों ने जैसा की पहले भी येशु के समय में किया था आज फिर से जब नए नियम और पुराने नियम को फिरसे बिगड़ दिया है और वचन को तोड़ मरोड़ कर सिखाते हैं और वचन की नहीं बल्कि अपनी ही बनायीं गयी शिक्षाओं पर चलते हैं और ऐसा ही कलीसिया को भी चलाते हैं। येशु ने फिर से जबकि वह अब जल्दी ही आता है वह अपनी दुल्हन को लेने आता है वह पहले अपनी दुल्हन को इन झूटी शिक्षाओं से निकलने के लिए ताकि वह रैप्चर में स्वर्ग उठाये जाने के लिए उसकी दुल्हन अपने आपको तैयार करे वह अब अपने सात दूतो को भेजता है और अब अंतिम समय में सातवे दूत का समय है और जिसने उसके वह सन्देश को ना सुना ना ही माना वह प्रभु की दुल्हन नहीं हो सकता और वह स्वर्ग नहीं जा रहा और जिसने सुना और माना और वैसा ही किया भी वह ही स्वर्ग जाएगा। और अब यह है तीसरा निर्गमन।
और अब मैं जो ये सब बातें आपको कह रहा हूँ उसका वचन से कोई आधार भी होना चाहिए। तो चलिए पढ़िए प्रकाशितवाक्य १०:१-४
१ फिर मैं ने एक और बली स्वर्गदूत को बादल ओढ़े हुए स्वर्ग से उतरते देखा, उसके सिर पर मेघधनुष था: और उसका मुंह सूर्य का सा और उसके पांव आग के खंभे के से थे।
२ और उसके हाथ में एक छोटी सी खुली हुई पुस्तक थी; उस ने अपना दाहिना पांव समुद्र पर, और बायां पृथ्वी पर रखा।
३ और ऐसे बड़े शब्द से चिल्लाया, जैसा सिंह गरजता है; और जब वह चिल्लाया तो गर्जन के सात शब्द सुनाईं दिए।
४ और जब सातों गर्जन के शब्द सुनाई दे चुके, तो मैं लिखने पर था, और मैं ने स्वर्ग से यह शब्द सुना, कि जो बातें गर्जन के उन सात शब्दों से सुनी हैं, उन्हें गुप्त रख, और मत लिख।
अब आप देखिये वचन १ में यह बली स्वर्गदूत प्रभु हैं जिसका मुँह सूर्य का सा और उसके पांव आग के खम्बे के सामान हैं और वह गुप्त रूप से पृथ्वी पर उतर आया है और उसके हाथ में एक खुली हुयी पुस्तक है यह पुस्तक क्या है ? और फिर वह चिल्लाया जैसे सिंह गरजता है और सात गर्जन के शब्द हुए। ये सात गर्जन के शब्द क्या हैं ????
ये वह सन्देश है जो परमेश्वर ने जगत की उत्त्पति से अब तक गुप्त रखा और अंतिम समय में अपनी दुल्हन तक पहुँचाने के लिए सातवे स्वर्गदूत को भेजा। सात स्वर्गदूतों में से ६ स्वर्गदूतों में से किसी को परमेश्वर ने ये सन्देश नहीं दिया परन्तु केवल सातवे स्वर्गदूत को ही दिया है। अब सोचिये
१ थिस्सलुनीकियों ४:१६ में प्रभु कहता है
क्योंकि (((प्रभु आप ही स्वर्ग से उतरेगा))); ((((उस समय ललकार)))), और ((((प्रधान दूत का शब्द)))) सुनाई देगा, और परमेश्वर की तुरही फूंकी जाएगी, और जो मसीह में मरे हैं, वे पहिले जी उठेंगे।
अब आप देखिये वचन कहता है यहाँ पर तीन चीज़े हैं
पहला (((प्रभु आप ही स्वर्ग से उतरेगा))) अभी प्रकाशितवाक्य १०:१ में आपने पढ़ा प्रभु स्वर्ग से उतरा
दूसरा ((((उस समय ललकार)))) यानि एक ललकार होगी यह ललकार क्या है? ये बुलावा है जो आपने प्रकाशितवाक्य १८:४ में पढ़ा (((हे मेरे लोगों, उस में से निकल आओ)))
तीसरा ((((प्रधान दूत का शब्द)))) यह शब्द क्या है ? यह वह अंतिम समय का सन्देश है जो की प्रधान स्वर्गदूत यानि सातवे स्वर्गदूत को दिया गया ये वह गर्जन के सात शब्द हैं जो प्रभु ने अपनी दुल्हन के लिए दिए हैं ताकि वह अपने आपको तैयार करे और उस तैयारी में उसे उकाब के दो पंख दिए जाएंगे ताकि वह रेप्चर में जा सके।
इसी लिए इस वचन में और अगले वचन में प्रभु कहता है (((और जो मसीह में मरे हैं, वे पहिले जी उठेंगे।))))
तब हम जो जीवित और बचे रहेंगे, उन के साथ बादलों पर उठा लिए जाएंगे, कि हवा में प्रभु से मिलें, और इस रीति से हम सदा प्रभु के साथ रहेंगे। - 1 थिस्सलुनीकियों ४:१७
यह स्त्री एक कलीसिया भी है, प्रभु की एक सच्ची कलीसिया, एक सम्पूर्ण वचन की कलीसिया यह पूरी तरह से बाइबिल यानि प्रभु के सच्चे वचन पर आधारित है जिसका आधार और दीवारें ईश्वर के अनुरुप सच्चे वचनो और सिद्धांतों द्वारा बनाई गई हैं। इस कलीसिया को इस विश्व और उसके देशों की राजनीतिक सरकारों के साथ खुद को पंजीकृत करने की कोई आवश्यकता नहीं है या पोप और रोमन कैथोलिक द्वारा बनाई गई नई विश्व व्यवस्था के तहत पंजीकरण करने की आवश्यकता नहीं है। यह स्त्री मसीह की दुल्हन है जिसे सबसे ऊँची उड़ान भरने के लिए विश्वास की पंख दिए गए है और उसको दृढ़ विश्वास ईश्वर द्वारा अपने सातवें स्वर्गदूत के द्वारा दिया गया है और यह विश्वास पश्चाताप और इस कलीसिया के सही और सही सिद्धांतों पर आधारित है जो ईश्वर के पूर्ण वचन, पवित्र बाइबल पर आधारित है, ना की मनुष्यों की बनायीं गयी शिक्षाओं और सिद्धांतों पर।
जो जय पाए, मैं उसे अपने साथ अपने सिंहासन पर बैठाऊंगा, जैसा मैं भी जय पा कर अपने पिता के साथ उसके सिंहासन पर बैठ गया। जिस के कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है॥ - प्रकाशित वाक्य ३:२१-२२
आमीन
प्रभु आप सब को बहुत आशीष दे।
जेम्स रॉक
- यशायाह ४:१
कि जो कुछ तू देखता है, उसे पुस्तक में लिख कर सातों कलीसियाओं के पास भेज दे, अर्थात (१) इफिसुस और (२) स्मुरना, और (३) पिरगमुन, और (४) थुआतीरा, और (५) सरदीस, और (६) फिलेदिलफिया, और (७) लौदीकिया में।
- प्रकाशित वाक्य १:११
प्रभु वचन के पढ़े जाने पर आशीष दे और प्रभु का बहुत ही धन्यवाद देते हैं इन पवित्र वचनो के लिए जो उसने अपने दास भविष्यवक्ताओ के द्वारा लिखवाये ताकि हम भी जो उसके नाम के कहलाते हैं इन्हें पढ़े और प्रभु से विनती करते हैं की वह अब अपनी पवित्र आत्मा के द्वारा हमें इन वचनो को समझा दे जिससे की हम भी उसके वचनो के द्वारा पवित्र किये जाएं और बच सके और प्रभु हम सभी को अपने आने की तैयारी दे ताकि हम भी उसकी बादशाहत में प्रभु के अनुग्रह से दाखिल हो सकें। प्रभु येशु मसीह के नाम से मांगते हैं
आमीन।
अब देखिये हमने प्रभु के कलाम में से यशायाह नबी की किताब ४:१ से पढ़ा। वचन में भी किसी भेद में बात की जाती है किसी स्त्री के बारे में आप समझ जाईये ये किसी कलीसिया के बारे में बात की जा रही है। और यहाँ पर ये पुरुष येशु है। तो इस वचन में ७ कलीसियाओं के बारे में प्रभु बात कर रहे हैं और ये कलीसियाएँ प्रभु से विनती कर रही हैं की हम रोटी तो अपनी की खाएंगी, और वस्त्र अपने ही पहनेगी परन्तु हम तेरी ही कहलाएं...
अब रोटी क्या है ? येशु ने कहा जीवन की रोटी मैं हूँ। और येशु की रोटी उसकी मांस उसकी देह है और आत्मिक रीती से उसका बदन उसका मांस उसकी देह उसका वचन है। और येशु ने यहुन्ना ६:६३ में कहा :-
आत्मा तो जीवनदायक है, शरीर से कुछ लाभ नहीं: जो बातें मैं ने तुम से कहीं हैं वे आत्मा है, और जीवन भी हैं।
और उसके वचन के ही द्वारा अनंत जीवन है क्यूंकि उसके वचन के ही द्वारा पवित्र आत्मा है और पवित्र आत्मा की छाप ही अनंत जीवन है और कोई मार्ग नहीं है।
और यहाँ यशायाह ४:१ में ये सातों स्त्रियां कहती हैं की हम रोटी तो अपनी ही खाएंगी यानी ये निर्बुद्धि स्त्रियां हैं जो येशु का वचन का इंकार कर अपने ही समझ के अनुसार वचन को समझ कर मानने की बात कर रही हैं। यानि जो अच्छा लगा जितना प्रभु का वचन वो मान सकती हैं जिसे मानने में उनको किसी प्रकार की दिक्कत या परेशानी नहीं होती उसको तो ये कालीसियायें मान लेती हैं लेकिन जहाँ कोई मुश्किल वचन सामने आता है उसमें ये फेर बदल कर देती हैं... या उसका ये इंकार कर देती हैं या उसमें कोई बहाना बना देती हैं जैसा की ये पहले हुआ करता था अब नहीं हो सकता या आजकल बाइबल की ये बात मानी नहीं जा सकती या ऐसा करना कठिन है या ऐसा करना प्रेक्टिकल नहीं है, या फिर ज़्यादातर लोग कह देते हैं की परमेश्वर मन को देखता है ऊपरी रूप नहीं देखता हमारा मन तो साफ़ है वगैरह वगैरह।
सब बातो की निचोड़ ये की यशायाह यहाँ पर भविष्ये में होने वाली बात बता रहा है जो की अगले वचन यानि प्रकाशित वाक्य १:११ में भी जिनका ज़िकर है जो येशु के स्वर्ग जाने से लेकर उसके वापस आने तक के समय को सात काल और सात कलीसियाओं में होगी और वो ये की ये सात कलीसियाएँ येशु की तो कहलाना चाहती हैं ईसाई तो कहलाना चाहती हैं लेकिन वचन अपने हिसाब से मानेंगी। और वस्त्र भी अपने ही हिसाब से पहनेंगी और येशु से चाहती हैं कि वो उनकी नामधराई दूर करे यानि उनका छुटकारा करे उनका उद्धार करे।
और वचन में वो वस्त्र प्रभु देता है वो दर्शाते हैं की प्रभु आपके गुनाहो को ढाँपता है और आपको उजला और ऐसा वस्त्र देता है जिससे आपका शरीर पूरी तरह से ढके और आपको अपने गुनाहो की वजह से आपको अपने नंगेपन की लाज ना हो। लेकिन ये सात कालों की सात कलीसियाओं को अपने गुनाहो पर पर्दा भी नहीं पढ़वाना क्यूंकि ये वचन कहता है की ये कहती हैं की इनको वस्त्र भी अपने ही पहनने हैं।
अब आप खुद सोचिये येशु हमारा दूल्हा है और हम उसकी दुल्हन और हम उसी से कह रही हैं की हम से शादी कर ले और हम अपनी ही मर्ज़ी से अपनी ही पसंद की रोटी खाएंगी और अपने ही मर्ज़ी के कपडे पहनेंगी जैसा की आजकल हो भी रहा है लड़किया शादी के बाद लड़के की परिवार से अलग रहना पसंद करती हैं और अपनी ही पसंद से कपडे जैसे जीन्स टॉप और छोटे छोटे या बिकुल ही तंग कपडे पहनना पसंद करती हैं और चाहती हैं की कोई उनको रोके टोके नहीं चाहे दुनिया उनको किसी भी निगाह से देखे वो कैसी भी दिखे और प्रभु माफ़ करे इन वचनो के लिए लेकिन ये हकीकत है की चाहे वो कुछ भी करे बस वह अपने पति की कहलाएं शादी शुदा अपने पति की कहलाएं अब भले ही कुदृष्टि और व्यभिचार मन ही मन किसी का भी या किसी से भी हो। फिर भी वह सिर्फ अपने पति की ही कहलाएं। ये सात कलीसियाएँ जो की दुल्हन बनना चाहती हैं येशु की, और अपने होने वाले दूल्हे येशु से अपनी शर्तें येशु के सामने रख रही हैं और जैसा की आजकल के समाज में ये हो भी रहा है।
इसी लिए प्रभु का वचन प्रकाशी वाक्य ३:१४-२२ में आज की अंतिम समय की कलीसिया से जबकि प्रभु का आना कितना निकट है, हमसे लौदीकिया काल की अंतिम कलीसिया से प्रभु कहता है :-
और लौदीकिया की कलीसिया के दूत को यह लिख, कि, जो आमीन, और विश्वासयोग्य, और सच्चा गवाह है, और परमेश्वर की सृष्टि का मूल कारण है, वह यह कहता है। (यानि की येशु मसीह कहता है हम सब से ) कि मैं तेरे कामों को जानता हूं कि तू न तो ठंडा है और न गर्म: भला होता कि तू ठंडा या गर्म होता। सो इसलिये कि तू गुनगुना है, और न ठंडा है और न गर्म, मैं तुझे अपने मुंह में से उगलने पर हूं।
तू जो कहता है, कि मैं धनी हूं, और धनवान हो गया हूं, और मुझे किसी वस्तु की घटी नहीं, और यह नहीं जानता, कि तू अभागा और तुच्छ और कंगाल और अन्धा, और नंगा है।
इसी लिये मैं तुझे सम्मति देता हूं, कि आग में ताया हुआ सोना मुझ से मोल ले, कि धनी हो जाए; और श्वेत वस्त्र ले ले कि पहिन कर तुझे अपने नंगेपन की लज्ज़ा न हो; और अपनी आंखों में लगाने के लिये सुर्मा ले, कि तू देखने लगे।
मैं जिन जिन से प्रीति रखता हूं, उन सब को उलाहना और ताड़ना देता हूं, इसलिये सरगर्म हो, और मन फिरा।
देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूं; यदि कोई मेरा शब्द सुन कर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आ कर उसके साथ भोजन करूंगा, और वह मेरे साथ।
जो जय पाए, मैं उसे अपने साथ अपने सिंहासन पर बैठाऊंगा, जैसा मैं भी जय पा कर अपने पिता के साथ उसके सिंहासन पर बैठ गया।
जिस के कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है॥
प्रभु वचन में इस युग के लोगो को अँधा इस लिए कह रहे हैं कियोंकि उनको ना ही वचन की सच्चाई दिखाई दे रही है और ना ही नरक दिख रहा है।
आप के भी मन में प्रश्न उठ रहा होगा की मैं यह कैसे कह सकता हूँ की यशायाह और प्रकाशितवाक्य के यह वचन हमारे ही बारे में लिखे गए हैं? तो आइए प्रकाशितवाक्य १:१९-२० पढ़े
इसलिये जो बातें तू ने देखीं हैं और जो बातें हो रही हैं; और जो इस के बाद होने वाली हैं, उन सब को लिख ले। अर्थात उन सात तारों का भेद जिन्हें तू ने मेरे दाहिने हाथ में देखा था, और उन सात सोने की दीवटों का भेद: वे सात तारे सातों कलीसियाओं के दूत हैं, और वे सात दीवट सात कलीसियाएं हैं॥
और यहां पर प्रभु कलीसियाओं को सात दीवट के रूप में दर्शा रहे हैं और और प्रकाशितवाक्य को प्रभु ने येशु मसीह को और फिर अपने दास यहुन्ना और और भी दासो को इस लिए दिया की वो अपने दासो को वह सब बातें और घटनायें बताये जो शीघ्र भविष्ये में होने वाली है पहले से ही बता दे। पढ़िए प्रकाशितवाक्य १:१
यीशु मसीह का प्रकाशितवाक्य जो उसे परमेश्वर ने इसलिये दिया, कि अपने दासों को वे बातें, जिन का शीघ्र होना अवश्य है, दिखाए: और उस ने अपने स्वर्गदूत को भेज कर उसके द्वारा अपने दास यूहन्ना को बताया।
और जैसा की हमने ऊपर पढ़ा प्रकाशितवाक्य १:१९-२० में उसने आने वाले समय और कालो को सात कालों में बांटा और उन सात कालों के पास सात दूत भी भेजे.... जो की वचन में सात तारों के रूप में बताये गए हैं। लेकिन शायद आपको एक भी दूत के बारे में पता भी ना हो या शायद ठीक ठीक न भी पता हो। पता है तो प्रभु आपको आशीष दे। लेकिन फ़िलहाल हम इन सात दूतों के बारे में आगे या फिर कभी देखेंगे। हम आज केवल आज के अंतिम समय के आखरी कलीसिया काल के यानि की लौदीकिया कलीसिया काल के दूत के बारे में देखेंगे की वचन हमारे लिए आज के समय का क्या सन्देश देता है और क्या सच में प्रभु ने किसी दूत को हमारे लिए भेजा है और उसका काम क्या है ? प्रभु ने हमारे लिए उसे किस सन्देश के साथ भेजा है ? वचन में से देखते हैं क्यूंकि केवल वचन ही सत्य और परमेश्वर है। पढ़ते हैं प्रकाशितवाक्य १०:७
वरन सातवें स्वर्गदूत के शब्द देने के दिनों में जब वह तुरही फूंकने पर होगा, तो परमेश्वर का गुप्त मनोरथ उस सुसमाचार के अनुसार जो उस ने अपने दास भविष्यद्वक्ताओं को दिया पूरा होगा।
आमीन।
अब देखिये यहाँ पर हमे मिलता है की परमेश्वर ने सचमुच हमारे लिए एक सातवें दूत को भेजा और उसका काम यह था के वह परमेश्वर का गुप्त मनोरथ यानि कि वह परमेश्वर की गुप्त और सिद्ध इच्छा को जो की परमेश्वर चाहता है की वह अपनी वह इच्छा जो उसने अभी तक किसी को नहीं बताई थी वह वो दूत आकार आपको बताये। और उसकी इच्छा कोई आइस क्रीम खाने की नहीं नहीं होगी बल्कि वह तो आपको मुझको जोकि प्रभु के कहलाते हैं हमको अपनी दुल्हन को नरक से बचने और स्वर्ग तक रैप्चर में ले जाने की होगी और उससे भी पहले हमें उन दिनों और उन विपत्तियों से बचने की होगी जो की इस संसार पर आने वाली है जब सूर्य कम्बल की तरह काला और चाँद रक्त की तरह लाल हो जायेगे और पृथ्वी के तत्त्व गर्म होकर पिघल जायेंगे और खून की नदियां मिलो लम्बी नदियां बह निकलेंगी। दूसरे शब्दों में यह सातवां दूत आपको परमेश्वर का वह गुप्त मनोरथ बताएगा जिससे आप रैप्चर में जा सको और इन सब आफतों से बच सको जो इस संसार पर आने वाली है इन सब विपत्तियों के बारे में जान्ने के लिए पढ़िए मत्ती २४:१-२८.
अब जब यशायाह में हमने पढ़ा की सात कालीसियें किस प्रकार का मन रखती हैं और कैसे काम करती हैं वह तो परमेश्वर का केवल नाम चाहती हैं परन्तु उसकी इच्छा जो की उसकी के अनुसार नहीं चलना चाहती और उसकी इच्छा जो की उसकी पुस्तक पवित्र बाइबल में ही छिपी हुयी है उसको नहीं जानना चाहती नहीं मानना चाहती इसी लिए यह लोग मत्ती ७:२१ में धोखा खाएंगे जब परमेश्वर नयाये के दिन उनको पहचानने से भी इंकार कर देगा क्यूंकि उन्होंने परमेश्वर की इच्छा से चलना न चाहा और अपनी ही इच्छा से और नियम और तरीको से चलते रहे। लेकिन इसी समय भी कुछ ऐसे लोग हैं जो कुछ कुछ देख पा रहे हैं की आज की इस अंतिम समय की कलीसियाओं में प्रभु का वचन की किस प्रकार से धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं और परमेश्वर के वचन से नहीं परन्तु अपनी इच्छा के अनुसार वचन को मन जा रहा है और सिखाया जा रहा है और सच्चे वचन का इंकार किया जा रहा है और सच्चे वचन में मिलावट की जा रही है और वचन से ऊपर हम अपनी सुख विलासिता में जी रहे हैं जिसको जैसे अच्छा लगता है वो वचन को वैसे ही मान लेता है। उद्धरण के लिए अगर हम पानी के बपतिस्मा की बात करें तो मसीह समाज में सेंकडो तरह के बपतिस्मे हैं और बाइबल हमें केवल एक ही तरह का जल के बपतिस्मा बताती है जो की पूरी बाइबल में दिया गया।
प्रकाशिवाक्य १०:७ में प्रभु ने अपने दास भविष्यवक्ता को सातवें दूत को वह बातें बताई जो की अंतिम समय में ठीक होनी ज़रूरी हैं आज भी अंतिम समय की सबसे ज़्यादा बिगड़ी हुयी कलीसिया में भी केवल कुछ ही लोग ऐसे हैं जो की सही और गलत को समझते हैं और उस में से निकलना चाहते हैं और वही प्रभु के लोग हैं जो की उसकी बादशाहत में दाखिल होंगे क्यूंकि उन्होंने उस सातवें दूत की सब बातो को ठीक ठीक तरह से समझा और माना।
पढ़िए प्रकाशितवाक्य १८:४-६
फिर मैं ने स्वर्ग से किसी और का शब्द सुना, कि हे मेरे लोगों, उस में से निकल आओ; कि तुम उसके पापों में भागी न हो, और उस की विपत्तियों में से कोई तुम पर आ न पड़े।
क्योंकि उसके पाप स्वर्ग तक पहुंच गए हैं, और उसके अधर्म परमेश्वर को स्मरण आए हैं।
जैसा उस ने तुम्हें दिया है, वैसा ही उस को भर दो, और उसके कामों के अनुसार उसे दो गुणा बदला दो, जिस कटोरे में उस ने भर दिया था उसी में उसके लिये दो गुणा भर दो।
देखिये ऊपर वचन में प्रभु आपको अपने शब्द अपने सन्देश में कह रहा है की मेरे लोगो उन में से निकल आओ और उनके पाप में भागी मत हो ? कौन हैं ये लोग ? यह वह अंतिम समय की दूषित लौदीकिया कलीसिया है जिसमें से प्रभु अपनी दुल्हन को निकलने के लिए बुला रहा है ताकि हम उनके पापो में भागी ना गिने जाएँ क्यूंकि परमेश्वर उनको अब सजा देने पर है। यह वचन याद रखिये की बुलाये हुए तो बहुत हैं लेकिन चुने हुए थोड़े। इसी प्रकार इस संसार में भी मसीह के नाम के तो बहुत हैं परन्तु चुने हुए थोड़े। संसार में सबसे अधिक लोग मसीही लोग हैं।
मैं ने उस को मन फिराने के लिये अवसर दिया, पर वह अपने व्यभिचार से मन फिराना नहीं चाहती।
देख, मैं उसे खाट पर डालता हूं; और जो उसके साथ व्यभिचार करते हैं यदि वे भी उसके से कामों से मन न फिराएंगे तो उन्हें बड़े क्लेश में डांलूगा।
और मैं उसके बच्चों को मार डालूंगा; और तब सब कलीसियाएं जान लेंगी कि हृदय और मन का परखने वाला मैं ही हूं: और मैं तुम में से हर एक को उसके कामों के अनुसार बदला दूंगा।
- प्रकाशितवाक्य २:२१-२३
इस वचन में परमेश्वर का वचन बताता है एक कलीसिया ऐसी है जिसने आत्मिक रीती से व्यभिचार किया है और वह अपने पाप से मन फिरना नहीं चाहती। यह आत्मिक रीती से व्यभिचार क्या है ? और ये कलीसिया कोनसी है ? यह कलीसिया वह है जिसने अपने व्यभिचार के बाद और भी कलीसियाओं को जन्म दिया है और व्यभिचार वह है जब इस कलीसिया ने प्रभु के वचन को तोडा मरोड़ा और वैसा प्रभु के वचन में मिलावट की है और मिलावट ही, शुद्धता में अशुद्धता को मिलाना ही व्यभिचार है। और इस कलीसिया जो की माँ कलीसिया भी कहलाती है इसने वचन में मिलावट की है और वैसा ही औरो को भी सिखाया और औरो ने भी उसके इस व्यभिचार में उसका साथ दिया है। और उसके बच्चे भी हैं जो की वह कलीसियाएँ हैं जो उस में से निकली हैं। यदि आप इतिहास के अच्छे जानकार हैं और वचन के भी तो आप समझ जाएंगे की प्रभु का वचन किस कलीसिया की ओर इशारा करता है। जी हाँ आज भी वह कलीसिया अपने आपको माँ कलीसिया कहती है और सबसे पहली और सबसे बड़ी कलीसिया कहती है वह है कैथोलिक कलीसिया। और बाकि की जितनी नामधारी कलीसियाएँ हैं वह सब उसकी संताने हैं।
हमने प्रभु के वचन को समाचार पत्र की तरह पढ़ा इसी लिए प्रभु अपने वचन होशे ४:६ में कहता है:
मेरे ज्ञान के न होने से मेरी प्रजा नाश हो गई; तू ने मेरे ज्ञान को तुच्छ जाना है, इसलिये मैं तुझे अपना याजक रहने के अयोग्य ठहराऊंगा। और इसलिये कि तू ने अपने परमेश्वर की व्यवस्था को तज दिया है, मैं भी तेरे लड़के-बालों को छोड़ दूंगा।
आप ध्यान दें प्रभु कहता है प्रकाशितवाक्य २:२१-२३ मैं और होशे ४:६ में की प्रभु उस कलीसिया को एक वेश्या के सामान बता रहा है जिसे वह खाट पे डालता है और लोग उसके साथ व्यभिचार करते हैं और प्रभु उसको और उसकी सन्तानो को बड़े कलेश में डालेगा और उसकी सन्तानो को मार डालेगा। आज के समय में उसकी सन्तानो की संख्या यानि नामधारी गिरजों की संख्या दुनिया में ५५००० के लगभग है। और अगर आपको प्रभु का यह वचन समझ में आ रहा है और आप जान पा रहे हैं की आप कहाँ हैं तो प्रभु का वचन आपको प्रकाशितवाक्य १८:४-६ के अनुसार बुला रहा है की हे मेरे लोगो उसमें से बहार निकल आओ और उसके पाप में व्यभिचार में अशुद्धता में भागी ना हो।
एक समय था जब इस वेश्या की संताने उस से अलग तो हुयी थी की वह परमेश्वर के साथ चलें लेकिन ना चली और अब वह समय है की उसकी वह संतानें वापस आ रही हैं अपनी माँ के पास। आपने निउ वर्ल्ड आर्डर यानि नयी विश्व व्यवस्था के बारे में सुना या पढ़ा होगा। इस व्यवस्था के अनुसार विश्व के सभी ५५००० नामधारी गिरजों को अब इस इस नयी विश्व व्यवस्था में और विश्व के सभी गिरजों को चाहे कहीं भी हो किसी का भी हो स्वतंत्र या पंजीकृत सभी को अब नयी विश्व वयवसथ के तहत पंजीकरण करना होगा। और इस नहीं विश्व व्यवस्था का राजा होगा पोप जोकि अपने देश का राष्टपति भी है और कैथोलिक कलीसिया को चलने वाला सबसे उच्च पद पर भी है। और केवल यही नहीं बहुत जल्दी मंदिर मज़्जिद और सभी धार्मिक स्थलों को भी पंजीकरण करना होगा। अन्यथा वह वहां पर कोई भी धार्मिक कार्य या प्रार्थना नहीं कर सकेंगे। बड़ी बात यह है की प्रभु का वचन पूरा हो रहा है यह सभी नामधारी गिरजे जो की मसीह के तो कहलाते हैं परन्तु वचन पुरा करने या मानाने में मसीह का इंकार करते हैं और अब सब एक छतरी के निचे इक्कट्ठे हो रहे हैं।
यह सब जो भी मैं आपको बता रहा हूँ यह सब भेद की बातें हैं जो की प्रभु ने अंतिम समय के लिए भेद में रख छोड़ी हैं और ये भेद मुझ पर नहीं प्रभु ने अपनी दुल्हन तक इन भेदो को पोहचने के लिए अपने सातवे दूत का सहारा लिया।
प्रकाशितवाक्य १०:७
वरन सातवें स्वर्गदूत के शब्द देने के दिनों में जब वह तुरही फूंकने पर होगा, तो परमेश्वर का गुप्त मनोरथ उस सुसमाचार के अनुसार जो उस ने अपने दास भविष्यद्वक्ताओं को दिया पूरा होगा।
यह सातवें दूत कौन है ??? जो परमेश्वर का रहस्य गुप्त मनोरथ खोल रहा है ?????? ऊपर वर्णित चीजें जो मैंने आपको बताई है वह एक रहस्य था और इस सातवें स्वर्गदूत द्वारा खोला गया। वह एक मनुष्य है, प्रभु का दूत है भविष्यवक्ता है जैसे मूसा, पौलुस, एलिय्याह और यशायाह, होशे, सपन्याह, डेनियल ये सभी भविष्यवक्ता थे।
प्रकाशित वाक्य १२:१४
और उस स्त्री को बड़े उकाब के दो पंख दिए गए, कि सांप के साम्हने से उड़ कर जंगल में उस जगह पहुंच जाए, जहां वह एक समय, और समयों, और आधे समय तक पाली जाए।
यह स्त्री वह दुल्हन है जोकि इन कलीसियाओं में से बहार निकली और अपने आपको शुद्ध किया और उसे उकाब के पंख दिए गए। इस सातवें स्वर्गदूत का यही काम है की वह प्रभु की दुल्हन को इन कलीसियाओं में से निकले और वह प्रभु की दुल्हन पर उस भेद को ज़ाहिर करे जिस से वह दुल्हन अपने आपको पापो से दूर करे और वह करे जो प्रभु उससे चाहता है और वह सातवा दूत उसे वह पंख उकाब के पंक दे की वह उन पंखो से इतनी ऊपर उड़ सके की वह आने वाले खतरे को देख सके और सही और गलत की पहचान सके और गलत को सही कर सके और वह उस दुल्हन को वह विश्वास और वह प्रभु के वचन से वह मार्ग दिखा सके जिससे दुल्हन बादलो पर उठायी जा सके रैप्चर में जा सके अपने प्रभु की बादशाहत में।
कलीसिया शब्द का अर्थ क्या है ? कलीसिया शब्द का अर्थ होता है बहार बुलाये गए लोग। परमेश्वर ने जब अपने लोग इज़राइलियों को जब मिस्र देश से निकला ताकि वह अपने परमेश्वर यहोवा की उपासना करें। परमेश्वर ने ये काम अपने दास मूसा के द्वारा करवाया। यह पवित्र शास्त्र में उल्लेख किया गया पहला निर्गमन था। जब परमेश्वर अपने लोगो को मिस्र देश की गुलामी से निकल लाया।
दूसरी बार परमेश्वर खुद येशु की देह में जन्म लेकर अपने लोगो के बीच आया और उसने झूटी शिक्षाओं से और आडंबरो से और खुद क्रूस पर कुर्बान होकर अपने लोगो को पाप की गुलामी से और बहार निकला। येशु ने मूसा से लेकर येशु के आने तक २००० सालो में जो व्यवस्था जो नियम और शिक्षाए धर्म के ठेकेदारों ने बिगड़ दी थी उनको सही और यहाँ तक की उसने पुराने नियम की व्यवस्था को और भी कठिन कर के नए नियम में नयी व्यवस्था दी। येशु ने पुरनी वयवस्था का इंकार नहीं किया बल्कि उसे पूरा किया। मुख्य बात यह की उसने अपने लोगो को गुलामी से निकला। यह दूसरा निर्गमन था।
अब फिर से अंतिम समय में प्रभु ने फिर से जबकि हमें अपने परमेश्वर के घर जाना ज़रूरी है समय निकट आता है और इन २००० सालो में फिर से धर्म के ठेकेदारों ने जैसा की पहले भी येशु के समय में किया था आज फिर से जब नए नियम और पुराने नियम को फिरसे बिगड़ दिया है और वचन को तोड़ मरोड़ कर सिखाते हैं और वचन की नहीं बल्कि अपनी ही बनायीं गयी शिक्षाओं पर चलते हैं और ऐसा ही कलीसिया को भी चलाते हैं। येशु ने फिर से जबकि वह अब जल्दी ही आता है वह अपनी दुल्हन को लेने आता है वह पहले अपनी दुल्हन को इन झूटी शिक्षाओं से निकलने के लिए ताकि वह रैप्चर में स्वर्ग उठाये जाने के लिए उसकी दुल्हन अपने आपको तैयार करे वह अब अपने सात दूतो को भेजता है और अब अंतिम समय में सातवे दूत का समय है और जिसने उसके वह सन्देश को ना सुना ना ही माना वह प्रभु की दुल्हन नहीं हो सकता और वह स्वर्ग नहीं जा रहा और जिसने सुना और माना और वैसा ही किया भी वह ही स्वर्ग जाएगा। और अब यह है तीसरा निर्गमन।
और अब मैं जो ये सब बातें आपको कह रहा हूँ उसका वचन से कोई आधार भी होना चाहिए। तो चलिए पढ़िए प्रकाशितवाक्य १०:१-४
१ फिर मैं ने एक और बली स्वर्गदूत को बादल ओढ़े हुए स्वर्ग से उतरते देखा, उसके सिर पर मेघधनुष था: और उसका मुंह सूर्य का सा और उसके पांव आग के खंभे के से थे।
२ और उसके हाथ में एक छोटी सी खुली हुई पुस्तक थी; उस ने अपना दाहिना पांव समुद्र पर, और बायां पृथ्वी पर रखा।
३ और ऐसे बड़े शब्द से चिल्लाया, जैसा सिंह गरजता है; और जब वह चिल्लाया तो गर्जन के सात शब्द सुनाईं दिए।
४ और जब सातों गर्जन के शब्द सुनाई दे चुके, तो मैं लिखने पर था, और मैं ने स्वर्ग से यह शब्द सुना, कि जो बातें गर्जन के उन सात शब्दों से सुनी हैं, उन्हें गुप्त रख, और मत लिख।
अब आप देखिये वचन १ में यह बली स्वर्गदूत प्रभु हैं जिसका मुँह सूर्य का सा और उसके पांव आग के खम्बे के सामान हैं और वह गुप्त रूप से पृथ्वी पर उतर आया है और उसके हाथ में एक खुली हुयी पुस्तक है यह पुस्तक क्या है ? और फिर वह चिल्लाया जैसे सिंह गरजता है और सात गर्जन के शब्द हुए। ये सात गर्जन के शब्द क्या हैं ????
ये वह सन्देश है जो परमेश्वर ने जगत की उत्त्पति से अब तक गुप्त रखा और अंतिम समय में अपनी दुल्हन तक पहुँचाने के लिए सातवे स्वर्गदूत को भेजा। सात स्वर्गदूतों में से ६ स्वर्गदूतों में से किसी को परमेश्वर ने ये सन्देश नहीं दिया परन्तु केवल सातवे स्वर्गदूत को ही दिया है। अब सोचिये
१ थिस्सलुनीकियों ४:१६ में प्रभु कहता है
क्योंकि (((प्रभु आप ही स्वर्ग से उतरेगा))); ((((उस समय ललकार)))), और ((((प्रधान दूत का शब्द)))) सुनाई देगा, और परमेश्वर की तुरही फूंकी जाएगी, और जो मसीह में मरे हैं, वे पहिले जी उठेंगे।
अब आप देखिये वचन कहता है यहाँ पर तीन चीज़े हैं
पहला (((प्रभु आप ही स्वर्ग से उतरेगा))) अभी प्रकाशितवाक्य १०:१ में आपने पढ़ा प्रभु स्वर्ग से उतरा
दूसरा ((((उस समय ललकार)))) यानि एक ललकार होगी यह ललकार क्या है? ये बुलावा है जो आपने प्रकाशितवाक्य १८:४ में पढ़ा (((हे मेरे लोगों, उस में से निकल आओ)))
तीसरा ((((प्रधान दूत का शब्द)))) यह शब्द क्या है ? यह वह अंतिम समय का सन्देश है जो की प्रधान स्वर्गदूत यानि सातवे स्वर्गदूत को दिया गया ये वह गर्जन के सात शब्द हैं जो प्रभु ने अपनी दुल्हन के लिए दिए हैं ताकि वह अपने आपको तैयार करे और उस तैयारी में उसे उकाब के दो पंख दिए जाएंगे ताकि वह रेप्चर में जा सके।
इसी लिए इस वचन में और अगले वचन में प्रभु कहता है (((और जो मसीह में मरे हैं, वे पहिले जी उठेंगे।))))
तब हम जो जीवित और बचे रहेंगे, उन के साथ बादलों पर उठा लिए जाएंगे, कि हवा में प्रभु से मिलें, और इस रीति से हम सदा प्रभु के साथ रहेंगे। - 1 थिस्सलुनीकियों ४:१७
यह स्त्री एक कलीसिया भी है, प्रभु की एक सच्ची कलीसिया, एक सम्पूर्ण वचन की कलीसिया यह पूरी तरह से बाइबिल यानि प्रभु के सच्चे वचन पर आधारित है जिसका आधार और दीवारें ईश्वर के अनुरुप सच्चे वचनो और सिद्धांतों द्वारा बनाई गई हैं। इस कलीसिया को इस विश्व और उसके देशों की राजनीतिक सरकारों के साथ खुद को पंजीकृत करने की कोई आवश्यकता नहीं है या पोप और रोमन कैथोलिक द्वारा बनाई गई नई विश्व व्यवस्था के तहत पंजीकरण करने की आवश्यकता नहीं है। यह स्त्री मसीह की दुल्हन है जिसे सबसे ऊँची उड़ान भरने के लिए विश्वास की पंख दिए गए है और उसको दृढ़ विश्वास ईश्वर द्वारा अपने सातवें स्वर्गदूत के द्वारा दिया गया है और यह विश्वास पश्चाताप और इस कलीसिया के सही और सही सिद्धांतों पर आधारित है जो ईश्वर के पूर्ण वचन, पवित्र बाइबल पर आधारित है, ना की मनुष्यों की बनायीं गयी शिक्षाओं और सिद्धांतों पर।
जो जय पाए, मैं उसे अपने साथ अपने सिंहासन पर बैठाऊंगा, जैसा मैं भी जय पा कर अपने पिता के साथ उसके सिंहासन पर बैठ गया। जिस के कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है॥ - प्रकाशित वाक्य ३:२१-२२
आमीन
प्रभु आप सब को बहुत आशीष दे।
जेम्स रॉक